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कुंडली मिलान क्या है?

कुंडली मिलान हिंदू विवाह परंपरा में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें वर और वधू की जन्म कुंडलियों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दोनों के बीच मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक सामंजस्य हो और उनका वैवाहिक जीवन सुखमय और समृद्ध हो।

कुंडली मिलान के प्रमुख घटक

कुंडली मिलान मुख्य रूप से अष्टकूट मिलान पद्धति के आधार पर किया जाता है, जिसमें 36 गुणों का मिलान किया जाता है। ये इस प्रकार हैं—

  1. वर्ण (1 गुण) – दांपत्य जीवन में मानसिक अनुकूलता की जांच।
  2. वास्य (2 गुण) – एक-दूसरे पर नियंत्रण और सामंजस्य का मूल्यांकन।
  3. तारा (3 गुण) – स्वास्थ्य और दीर्घायु का विचार।
  4. योनि (4 गुण) – आपसी शारीरिक आकर्षण और अनुकूलता।
  5. ग्रह मैत्री (5 गुण) – मानसिक और बौद्धिक तालमेल।
  6. गण (6 गुण) – स्वभाव और विचारों का सामंजस्य।
  7. भकूट (7 गुण) – वैवाहिक सुख, संतान और समृद्धि।
  8. नाड़ी (8 गुण) – स्वास्थ्य और संतानों से जुड़ी अनुकूलता।

यदि 18 से कम गुण मिलते हैं, तो विवाह की सिफारिश नहीं की जाती, जबकि 18 से अधिक गुणों के मिलान को शुभ माना जाता है।

मांगलिक दोष और उसके उपाय

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष हो, तो यह वैवाहिक जीवन में बाधाएँ उत्पन्न कर सकता है। इसे दूर करने के लिए—
✔ मंगल ग्रह की शांति के लिए विशेष पूजा करें।
✔ हनुमान जी और महादेव की आराधना करें।
✔ यदि दोनों पक्षों में मंगल दोष है, तो इसका प्रभाव समाप्त हो जाता है।

कुंडली मिलान के लाभ

✅ दांपत्य जीवन में सामंजस्य बना रहता है।
✅ अनबन, क्लेश और तलाक जैसी समस्याओं की संभावना कम होती है।
✅ संतान सुख और आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है।
✅ कुंडली दोषों का समाधान विवाह से पहले किया जा सकता है।

निष्कर्ष

कुंडली मिलान केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि वैज्ञानिक आधार पर संबंधों की अनुकूलता की जाँच करने की प्रक्रिया है। यदि आप अपने वैवाहिक जीवन को सफल बनाना चाहते हैं, तो विवाह से पहले कुंडली मिलान अवश्य करवाएं।

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