मोती (Pearl) चंद्रमा से जुड़ा एक शक्तिशाली रत्न है, जिसे ज्योतिषीय और स्वास्थ्य लाभों के लिए पहना जाता है। यह मानसिक शांति, भावनात्मक स्थिरता, आत्मविश्वास, वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और क्रोध नियंत्रण में सहायक होता है। इसे चांदी की अंगूठी में सोमवार, शुक्ल पक्ष में, सुबह 5-7 बजे के बीच कनिष्ठा (छोटी) उंगली में पहनना शुभ माना जाता है। धारण विधि: पहनने से पहले इसे कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध करें और "ॐ सों सोमाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। हालांकि, सिंह, वृश्चिक और मकर राशि वालों को इसे पहनने से पहले ज्योतिषीय सलाह लेनी चाहिए। मोती न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है, बल्कि यह अनिद्रा, त्वचा रोग, उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी समस्याओं को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। असली मोती की पहचान के लिए उसकी प्राकृतिक चमक, बनावट और पानी में डूबने की क्षमता की जांच करें।
मोती (जिसे संस्कृत में "मुक्ता" कहा जाता है) न केवल एक खूबसूरत रत्न है, बल्कि ज्योतिष में इसे चंद्रमा से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह व्यक्ति की मानसिक स्थिति को नियंत्रित करता है और भावनात्मक स्थिरता प्रदान करता है। मोती को शांति, धैर्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसे पहनने से कई ज्योतिषीय और स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिलते हैं।
चंद्रमा मन, भावनाओं और मानसिक स्थिति का कारक ग्रह होता है। यदि चंद्रमा कमजोर हो, तो व्यक्ति को तनाव, चिंता, अवसाद और भावनात्मक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। मोती धारण करने से चंद्रमा को बल मिलता है और व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है।
जिन लोगों को आत्म-संदेह होता है या जो निर्णय लेने में कठिनाई महसूस करते हैं, उनके लिए मोती बहुत लाभकारी होता है। यह न केवल सोचने-समझने की क्षमता को बढ़ाता है बल्कि व्यक्ति को शांत और संतुलित रखता है।
अगर किसी के वैवाहिक जीवन में तनाव या मतभेद चल रहे हैं, तो मोती पहनने से दांपत्य जीवन में सुधार आ सकता है। यह रिश्तों में मिठास लाने और आपसी समझ को बढ़ाने में मदद करता है।
मोती को कुछ शारीरिक समस्याओं के लिए भी फायदेमंद माना जाता है, जैसे:
दिल की बीमारियाँ – यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
अनिद्रा – जिन लोगों को नींद न आने की समस्या होती है, उनके लिए यह लाभदायक होता है।
आंखों और त्वचा की समस्याएं – मोती धारण करने से त्वचा की चमक बढ़ती है और आंखों की रोशनी में सुधार हो सकता है।
पानी से जुड़ी बीमारियाँ – यह सर्दी-खांसी, फेफड़ों की समस्याएं और पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारियों को दूर करने में मदद करता है।
जो लोग बहुत ज्यादा गुस्सा करते हैं, चिड़चिड़े स्वभाव के होते हैं, या दूसरों के प्रति द्वेष रखते हैं, उनके लिए मोती बहुत फायदेमंद होता है। यह मन को शांत करता है और व्यक्ति को अधिक सहनशील और दयालु बनाता है।
अगर कोई ध्यान, योग या आध्यात्मिक मार्ग पर चल रहा है, तो मोती उसकी एकाग्रता और आंतरिक शांति को बढ़ाने में मदद करता है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से सशक्त करता है और उच्च स्तर की चेतना प्राप्त करने में सहायता करता है।
मोती को आमतौर पर चांदी में जड़वाकर धारण किया जाता है, क्योंकि चांदी चंद्रमा की धातु मानी जाती है। कुछ मामलों में इसे सोने में भी पहना जा सकता है, लेकिन चांदी सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
मोती को कनिष्ठा (छोटी) उंगली में पहनना सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह उंगली चंद्रमा से संबंधित होती है।
दिन – सोमवार (चंद्रमा का दिन)
समय – सुबह 5 से 7 बजे के बीच (शुभ मुहूर्त में)
तिथि – शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ते समय) में पहनना सबसे शुभ माना जाता है।
मोती को पहनने से पहले इसे शुद्ध करना जरूरी होता है। शुद्धिकरण की प्रक्रिया इस प्रकार है:
एक कटोरी में कच्चा दूध और गंगाजल मिलाएं।
इसमें मोती की अंगूठी को कुछ मिनट के लिए डुबोकर रखें।
इसे निकालकर साफ पानी से धो लें।
अब इसे "ॐ सों सोमाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करके पहनें।
जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर, दूषित या अशुभ स्थिति में हो।
जो लोग मानसिक तनाव, चिंता, अनिद्रा, अवसाद या भावनात्मक अस्थिरता से गुजर रहे हों।
जो लोग बहुत ज्यादा गुस्सा करते हैं या जिनका स्वभाव चिड़चिड़ा होता है।
जो विद्यार्थी हैं और पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।
जिनके वैवाहिक जीवन में समस्याएं चल रही हैं।
जो लोग आध्यात्मिक उन्नति की इच्छा रखते हैं।
सिंह, वृश्चिक और मकर राशि वालों को मोती पहनने से पहले ज्योतिषीय सलाह लेनी चाहिए।
जिनकी कुंडली में चंद्रमा बहुत मजबूत स्थिति में है, उन्हें मोती की जरूरत नहीं होती।
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल और शनि की महादशा चल रही हो, तो मोती पहनने से बचना चाहिए।
जिनका स्वभाव पहले से ही बहुत ज्यादा भावुक होता है, उन्हें मोती ज्यादा भावनात्मक बना सकता है।
अगर आप मोती खरीदने जा रहे हैं, तो यह ध्यान रखें कि बाजार में नकली मोती भी बहुत मिलते हैं। असली मोती की पहचान इस प्रकार कर सकते हैं:
दांतों से रगड़कर देखें – असली मोती को दांतों से हल्के से रगड़ने पर उसमें हल्की सी किरकिराहट महसूस होगी, जबकि नकली मोती एकदम चिकना लगेगा।
रोशनी पर देखने से चमक का अंदाजा लगाएं – असली मोती की चमक हल्की और प्राकृतिक होती है, जबकि नकली मोती ज्यादा चमकदार और प्लास्टिक जैसा दिखता है।
पानी में डालकर जांचें – असली मोती पानी में धीरे-धीरे डूबेगा, जबकि नकली मोती ऊपर तैर सकता है।
सरफेस टेस्ट – असली मोती के ऊपर हल्की-हल्की प्राकृतिक खुरदरी सतह होती है, जबकि नकली एकदम स्मूथ और प्लास्टिक जैसा लगता है।
मोती सिर्फ एक खूबसूरत रत्न ही नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली ज्योतिषीय उपाय भी है। इसे सही तरीके से पहनने पर यह मानसिक शांति, भावनात्मक स्थिरता, अच्छे स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है। हालांकि, इसे पहनने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श जरूर करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह आपकी कुंडली के लिए अनुकूल है या नहीं।