"जिस क्षण मन ईश्वर में स्थिर होता है, उसी क्षण पूजा सार्थक होती है।" — यह वाक्य हर उस भक्त के हृदयय की गहराई से निकला अनुभव है, जो सच्ची भक्ति के मार्ग पर चलना चाहता है।
परंतु आज के इस व्यस्त जीवन, भागदौड़ और डिजिटल शोर के युग में, जब हम भगवान के सामने बैठते हैं, तो भी मन इधर-उधर भटकता है। एसे में प्रश्न उठता है – पूजा में मन कैसे लगाएं?
चलिए जानते हैं कुछ सरल, किन्तु प्रभावाशाली उपाय जिससे पूजा मन से, आत्मा से जुड़ सके।
स्नान करें और शांत वातावरण बनाएं।
की की स्वच्छ ओर सात्त्विक वस्त्र पहनें।
पूजा का स्थान भी और सुव्यविस्थित हो।
✨ "जहां शुद्धता है, वहां देवत्व स्वतः प्रकट होता है।"
मन को भटकने से रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है – मौन ध्यान।
पूजा शुरू करने से पहले 2-5 मिनट की चुप्पी आंखें बंद करके बैठें।
गहीरी सांसें लें और “ओं” का उच्चारण करें।
संस के आने-जाने पर ध्यान केंद्रित करें।
जब आप भगवान की मूर्ति या चित्र को देखें, तो एसे देखें जैसे वे आपके सामने सजीव रूप में उपस्थित हैं।
आंखें बंद करके भगवान के रूप का ध्यान करें।
उनके चरणों में बैऐटे हुए स्वयं की कल्पनना करें।
मंत्र जाप पूजा का प्राण है।
एक छोटा, सरल और सात्त्विक मंत्र चुनें:
“ओं नमः शिवाय।”
“ओं नमो भगवते वासुदेवाय।